राष्ट्रीय वन शहीद दिवस11 सितंबर,2024 को मनाया जाता हैं, बहुत सारे सुरक्षाकर्मिओं ने अपनी जान गंवाई हैं,वन्य जीव संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के लिए इसलिए उनके सम्मान के लिए यह दिवस वन रक्षकों और अधिकारियों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं|
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को जंगलों और वन्य जीवन के संरक्षण के महत्व के लिए जागरूक करना है। इसके अलावा यह दिन उन लोगो के लिए समर्पित हैं जो लोग पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीवों की सुरक्षा, और वनों की रक्षा में लगे हैं जिन लोगों ने अपनी जान गवा दी उनके समर्पण को याद रखने के लिए।
कब से मनाया जा रहा हैं राष्ट्रीय वन शहीद दिवस
हर साल 11 सितंबर को यह दिवस मनाया जाता हैं लेकिन पहली बार यह 11 सितंबर1730 में, राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में एक भयानक घटना घटी थी। उस समय के शासक ने किले के निर्माण के लिए लकड़ी की आवश्यकता थी। इसी कारण, उसने गांव के पास के खेजड़ी के पेड़ों को काटने का आदेश दिया।
खेजड़ी नरसंहार
ऐसे में गांव की एक महिला, अमृता देवी बिश्नोई ने पेड़ों को काटने का विरोध किया और खुद पेड़ों के सामने खड़ी हो गई। जब सैनिकों ने पेड़ काटने की कोशिश की, तो अमृता देवी ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी। अमृता देवी की इस बहादुरी से प्रेरित होकर, उनके तीन सौ से अधिक गांव वाले भी पेड़ों की रक्षा के लिए अपनी जान दे बैठे।
जब इस नरसंहार की सूचना राजा तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत अपने सैनिकों को पीछे हटने के लिए कहा और बिश्नोई समुदाय के लोगों से माफी मांगी। इसके साथ ही महाराजा अभय सिंह ने एक घोषणा की कि बिश्नोई गांवों के आसपास के क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई और जानवरों की हत्या नहीं होगी। इसके बाद साल 2013 में भारत सरकार, पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी। तब से यह दिवस हर साल मनाया जा रहा है।