नहीं रहे रतन टाटा भारत ने खो दिया हीरा,रतन टाटा के निधन पर बहुत से लोगों  के आँखों से छलके आंसू |

नहीं रहे रतन टाटा! भारत ने एक हीरे को खो दिया 86 साल की उम्र में मुंबई के ट्रामा हॉस्पिटल में ली अंतिम साँस, देश में शोक की लहर फैल गई, जब 9 अक्टूबर बुधवार को पता चला की रतन टाटा जी नहीं रहे,सोशल मिडिया पर लोग रतन टाटा जी को श्रदांजली दे रहे हैं, बहुत से उद्योग जगत के लिए बहुत दुखद खबर थी ये जब पता चला रतन जी नहीं रहे,मुकेश अम्बानी से लेकर बहुत से उद्योगपति ट्वीट कर रहे हैं,रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने ट्वीट किया हैं |

रतन टाटा
रतन टाटा

रतन टाटा का निधन भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति है,9अक्टूबर रत को ही उनके पार्थिव शरीर को मुंबई के ट्रामा अस्‍पताल से उनके आवास ले जाया गया था,अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल में रखा जाएगा, गुरुवार सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे  |

रतन टाटा जी सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे,वह अपने ग्रुप से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे, उन्होंने जानवरों से, खासतौर पर स्ट्रे डॉग्स से काफी लगाव था,वे कई गैर सरकारी संगठनों और Animal Shelters को दान भी करते थे, इसके अलावा वे किसी भी विपदा की स्थिति में हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे फिर चाहे वो मुंबई 26/11 अटैक हो या फिर Corona महामारी में भी उन्होंने बहुत दान किया था |

1991 में, जब उनके चाचा जेआरडी टाटा ने पद छोड़ दिया, तो उन्होंने समूह का नेतृत्व संभाला। यह समय भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि देश ने अपने अर्थव्यवस्था को विश्व के लिए खोलने और तेज तरक्की के युग की शुरुआत करने के लिए क्रांतिकारी सुधार शुरू किए थे।

अपने शुरुआती कदमों में से एक में, रतन टाटा ने समूह की कुछ कंपनियों के प्रमुखों की शक्ति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। उन्होंने सेवानिवृत्ति आयु लागू की, युवा लोगों को वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत किया और कंपनियों पर नियंत्रण बढ़ाया।

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